Friday, April 23, 2010
तेरा ख्वाब
Sunday, January 24, 2010
Best Compositions
1.
नुक्ताचीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाये न बने
क्या बने बात जहाँ बात बनाये न बने
मैं बुलाता तो हूँ उस को मगर ऐ जज़्बा-ए-दिल
उस पे बन जाये कुछ ऐसी कि बिन आये न बने
खेल समझा है कहीं छोड़ न दे, भूल न जाये
काश यूँ भी हो कि बिन मेरे सताये न बने
ग़ैर फिरता है लिए यूँ तेरे ख़त को कि अगर
कोई पूछे कि ये क्या है तो छुपाये न बने
इस नज़ाकत का बुरा हो वो भले हैं तो
क्या हाथ आयें तो उन्हें हाथ लगाये न बने
कह सके कौन कि ये जल्वागरी किसकी है
पर्दा छोड़ा है वो उसने कि उठाये न बने
मौत की राह न देखूँ कि बिन आये न रहे
तुम को चाहूँ कि न आओ तो बुलाये न बने
बोझ वो सर पे गिरा है कि उठाये न उठे
काम वो आन पड़ा है कि बनाये न बने
इश्क़ पर ज़ोर नहीं, है ये वो आतिश "ग़ालिब"
कि लगाये न लगे और बुझाये न बने ……………ग़ालिब
2.
मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें
चल निकलते जो मय पिये होते
क़हर हो या बला हो, जो कुछ हो
काश के तुम मेरे लिये होते
मेरी क़िस्मत में ग़म गर इतना था
दिल भी या रब कई दिये होते
आ ही जाता वो राह पर "ग़ालिब"
कोई दिन और भी जिये होते
Monday, June 15, 2009
reflection......
जुदाई
तड़पता है दिल मेरा तुझसे दूर होकर,
सिसकती है जिंदगी मेरी तुझसे बिछड़कर,
तरसाती है तेरी हर याद मुझे,
रुलाती है तेरी वो मीठी बात मुझे,
चुभती है ये तन्हाई दिल में,
जलाती है ये जुदाई मुझे,
पर समझा लेती हूँ ख़ुद को ये सोचकर कि,
कम से कम खुश तो है तू मुझसे दूर होकर,
शायद जो खुशी तुझे मेरी नजदीकियों ने न दी,
कम से कम मिली तो है तुझे वो,
मेरी जुदाई से मगर........
reflection.........
नाराज़गी
क्यूँ नाराज़ है जिंदगी मुझसे इस कदर,
कि खुशियों का अख्स दिखाकर,
थमती है मुझे सिर्फ़ और सिर्फ़,
दुखों कि वो दर्दनाक सी लहर.....
कल तक तो ये मंज़र था,पल दो पल की निशानी,
पर शायद अब बन चुका है ये हर पल की कहानी.....
माँगा नही जब जिंदगी से कुछ,
मिली तब हर खुशी सचमुच,
गुदगुदा गई कुछ, हंसा गई कुछ,
और बरसा गई मुझपर मोहब्बत की वो मेहर
बोया था जो बीज जिंदगी ने मेरे अन्दर,
फुट पड़ा वो प्रेम का कोंपल बनकर,
फिर जिंदगी ने सींचा उसे कुछ इस कदर,
कि लेने लगा वो इठलाती अंगडाई पल पल....
पर अचानक जाने क्या नाराज़गी छाई,
छीने जिंदगी ने मेरे हर ख्वाब इस कदर,
कि तड़प रहा है ये नन्हा मन
प्यार की एक बूंद को पल-पल,
अब तो बस आती है नज़र,
मेरे टूटे अरमानों की चिताएं हर तरफ़....
शिकायत न होती गर जिंदगी ने,
कराये न होते ये एहसास इस कदर,
शिकायत न होती गर जिंदगी ने,
थमाई न होती बिन मांगी ये खुशियाँ इस कदर,
शिकायत न होती गर जिंदगी ने,
तोडे न होते ये ख्वाब ख़ुद देकर
क्यूँ नाराज़ है जिंदगी मुझसे इस कदर,
कि खुशियों का अख्स दिखाकर,
थमती है मुझे सिर्फ़ और सिर्फ़,
दुखों की वो दर्दनाक सी लहर ..........
Sunday, June 14, 2009
reflection.....
काश
काश कि कुछ ऐसा हो जाए,
नाराज़गी छोड़, किस्मत भी हम पर मेहरबान हो जाए,
मेरे अरमानों को पर मिल जाए,
और ख्वाबों में सतरंगी चमक भर जाए,
उड़ान को बेचैन इस परिंदे को,
दूर तक फैली फलक मिल जाए,
देखे थे निगाहों ने जो सपने,
उन सपनों को सच्चाई कि धरातल मिल जाए,
खुशियाँ जहाँ आकर थामे मेरा दामन,
जिंदगी को वो साहिल मिल जाए ............
Thursday, June 11, 2009
reflection.......
सौगात - ऐ- मोहब्बत
मिली है मुझे वो सौगात- ऐ - मोहब्बत कि जिसमे,
नज़र आती है तुझे मेरी हजारों ख्वाहिशें,
बस नज़र आती नही तो,
उन ख्वाहिशों के पीछे का अनजाना डर,
नज़र आती है तुझे मेरी महफिल-ऐ -जिंदगी,
बस नज़र आती नही तो,
उस महफिल में रौशन-ऐ -तन्हाई,
नज़र आती है तुझे मेरे चेहरे की हँसी,
बस नज़र आती नही तो,
इन पलकों पर छलकी दर्द-ऐ -दिल की नमी...................
Saturday, June 6, 2009
reflections........
एक रिश्ता
जब भी पूछा तुझसे