Saturday, June 6, 2009

reflections........


एक रिश्ता

जब भी पूछा तुझसे
क्या रिश्ता है हमारा,
हंसकर कह दिया तुमने
कुछ खास है ये साथ हमारा,
जब भी पूछा तेरी कौन हूँ मैं,
इठलाकर कह दिया
तेरी संगिनी हूँ मैं,
झूम उठा दिल सुन कर ये
घिर गई अनोखे ख्वाबों में मैं,
हर पल में खुशियाँ समायी
और पूजने लगी तेरी छबि को मैं,
पर न जाने हुआ क्या ?
घिर गई अचानक एक आंधी में मैं,
धुल छटी जब आंखों से तो,
तन्हाई की बारिस में
खुशियों से परे खड़ी थी मैं
अब, जब फिर पूछा तुझसे,
क्या है हमारे बीच,
तो हंसकर कह दिया तुमने,
कुछ भी तो नही है हमारे बीच,
बिखर गए सारे ख्वाब ये सुनकर,
टूट गया दिल बेबस होकर ,
बस, रह गए पलकों पे आंसू,
अब तो दिल के दर्द बनकर.....

1 comment:

  1. waah...jab bhi pucha..kya rishta hai.....dard bankar........waah kalpna ji kya khoob likha hai.shuk- dukh ek saath.

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